भारत की कृषि (Agriculture in India)
भारत की कृषि(Agriculture of India)
भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है और देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। यह दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2013 में भारत ने दाल उत्पादन में 25% का योगदान दिया जोकि किसी एक देश के लिहाज से सबसे अधिक है।भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 51 प्रतिशत भाग कृषि में है तथा 4% भूभाग पर चारागाह है लगभग 21%भूमि पर वन एवं 24% भूमि बंजर तथा बिना उपयोग की है।
कृषि राज्य सूची का विषय है जिसका उल्लेख संविधान की सातवीं अनुसूची में है।
(Note): राष्ट्रीय कृषक आयोग ने 4 अक्टूबर 2006 ईस्वी को सिफारिश प्रस्तुत की कृषि को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में लाया जाए
देश की कुल श्रम शक्ति का लगभग 48.9% भाग कृषि एवं इससे संबंधित उद्योग धंधों से अपनी आजीविका चलाता है 2013-14 ईस्वी में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 13.9% है।
भारत में खदानों के अंतर्गत आने वाले कुल क्षेत्र के 47% भाग पर चावल की खेती की जाती है भारत में मुख्य खाद्य फसल चावल है भारत विश्व का 21.7% चावल उत्पादन करता है।
चावल उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है तथा चीन प्रथम स्थान पर है। भारत में खाद्य फसलों में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है IR-20 चावल की अधिक पैदावार देने वाली किस्म है।
विश्व में गेहूं उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है भारत विश्व का 12% गेहूं उत्पादन करता है देश के कुल कृषि योग्य भूमि के लगभग 14% भाग पर गेहूं की खेती की जाती है। देश में गेहूं के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है जबकि प्रति हेक्टेयर उत्पादन में पंजाब का पहला स्थान है।
विभिन्न प्रकार की कृषि विधियां :-
सेरीकल्चर - रेशम कीट
एपी कल्चर मधुमक्खी पालन
पीसी कल्चर मत्स्य पालन
फ्लोरीकल्चर फूलों का उत्पादन
विटीकल्चर अंगूर की खेती
वर्मी कल्चर केंचुआ पालन
पोमोकल्चर फलों का उत्पादन
ओलेरीकल्चर पालन सब्जियों का उत्पादन
हॉर्टिकल्चर बागवानी
हाइड्रोपोनिक्स जल में पौधों को उगाना
हरित क्रांति का सबसे अधिक प्रभाव गेहूं और चावल की फसल पर पड़ा है परंतु चावल की तुलना में गेहूं के उत्पादन में अधिक वृद्धि हुई है। भारत में हरित क्रांति(Green revolution) लाने का श्रेय एमएस स्वामीनाथन को जाता है भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1967-68 मैं हुई है। प्रथम हरित क्रांति के बाद 1983-84 द्वितीय हरित क्रांति की शुरुआत हुई जिसमें अधिक अनाज उत्पादन निवेश एवं कृषकों को दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार हुआ
भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ V. कुरियन माने जाते हैं।
विभिन्न कृषि क्रांतियां
हरित क्रांति खाद्यान्न उत्पादन से संबंधित है श्वेत क्रांति दुग्ध उत्पादन संबंधित है
नीली क्रांति मत्स्य उत्पादन
भूरी क्रांति उर्वरक उत्पादन
रजत क्रांति अंडा उत्पादन
पीली क्रांति तिलहन उत्पादन
कृष्ण क्रांति बायोडीजल उत्पादन
लाल क्रांति टमाटर/ मांस उत्पादन
गुलाबी क्रांति झींगा मछली उत्पादन
बादामी क्रांति मसाला उत्पादन
सुनहरी क्रांति फल उत्पादन
अमृत क्रांति नदी जोड़ो परियोजना
गोल क्रांति आलू उत्पादन
स्वर्ण क्रांति भगवानी
- तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना 1986 में
- भारत उर्वरक उत्पादन एवं उपभोग में विश्व में तीसरे स्थान पर है जबकि चीन एवं अमेरिका क्रमश पहले व दूसरे स्थान पर है। भारत नाइट्रोजन उर्वरक को कि अपनी खपत का 94% व फास्फेटिक उर्वरकों की खपत का 82% ही उत्पादन करता है। पोटेशियम उर्वरक का पूरी तरह आयात किया जाता है।
- आम, केला, चीकू, खट्टा नींबू, काजू, काली मिर्च नारियल, अदरक तथा हल्दी के उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है।
- फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है तथा प्रथम स्थान पर चीन है।
- विश्व में तंबाकू का सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता चीन है, उत्पादन में भारत का स्थान तीसरा है। तंबाकू की पत्तियों को सुखाने की प्रक्रिया क्यूरिंग कहलाती है। जिससे पत्तियों में वांछित रंग तथा गंध आदि गुणों का विकास होता है।
- भारत में चाय की खेती 1840 इसवी में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में प्रारंभ हुई, चाय की पत्तियों में कैफीन तथा ट्रेनिंग की प्रचुरता पाई जाती है। भारत में सर्वोत्तम चाय दार्जिलिंग में पैदा की जाती है तथा विश्व प्रसिद्ध उलंग किस्म की चाय ताइवान में पैदा होती हैं।
- सबसे उच्च कोटि का कहवा अरेबिका होता है कहवा की अन्य दो किस्में हैं- रोबस्ता व लीबेरीका
- मक्का में वाइट बड एवं धान में खैरा रोग जस्ता की कमी के कारण होता है।
- भारत में फूलों की खेती का 9% आर्किड से प्राप्त होता है। आर्केड एक रंगीन एवं मनमोहक पुष्पी पौधा है इसका प्रयोग मुख्य रूप से इत्र निर्माण में सजावट के रूप में खाद्य के रूप में एवं परंपरागत दवाइयों के निर्माण में किया जाता है। भारत में इसकी खेती उत्तरी पूर्वी जलवायु क्षेत्रों में की जाती है। अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश आर्केड की कृषि के लिए उपयुक्त क्षेत्र हैं अरुणाचल प्रदेश को आर्केड स्टेट के रूप में भी जाना जाता है।
- कर्नाटक सुपारी एवं कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
- नासिक अंगूर की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है।
- भारत में प्राकृतिक रबड़ का सबसे अधिक उत्पादन केरल में होता है
- आंध्र प्रदेश भारत में सबसे बड़ा मसाला उत्पादक राज्य है।
- भारत में सबसे अधिक मात्रा में केसर जम्मू कश्मीर से प्राप्त होता है।
- सिक्किम को जैविक खेती करने वाला भारत का प्रथम राज्य घोषित किया गया।
- अरहर को लाल चना तथा पिजन पी के नाम से भी जाना जाता है।
- लंबे रेशे वाली अमेरिकन कपास को देश के उत्तरी पश्चिमी भाग में नरमा कहा जाता है। कपास पर फूल आने के समय आकाश बादल रहित होना चाहिए।
- विश्व में लंबे रेशे के कपास का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश अमेरिका है।
- अन्न भंडारण करते समय दानों में नमी 10% से नीचे होनी चाहिए अन्यथा कीट प्रकोप का भय रहता है।
- दलहनी फसलों के उत्पादन हेतु कोबाल्ट आवश्यक तत्व है।
ऋतुओ के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
(1) रबी की फसल:- यह सर्दी में बोई जाती है। यह अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है। और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती है इसके मुख्य फसलें हैं- गेहूं जो चना मटर सरसों आलू राई अलसी आदि।
(2) खरीफ की फसल (दक्षिणी पश्चिमी मानसून के तत्काल बाद बोई गई फसल) :- यह वर्षा ऋतु में बोई जाती है। यह जून-जुलाई में बोई जाती है। और नवंबर में काट ली जाती है। इसकी मुख्य फसलें : धान, गन्ना ,तिलहन , ज्वार बाजरा, मक्का अरहर, मूंगफली, तेल , मंडुआ ,कपास ,सोयाबीन: आदि।
(3) जायद की फसल :- यह गर्मी में बोई जाती है।
यह फसली मार्च-अप्रैल में बोई जाती है इन फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवा को सहने की क्षमता होती है। प्रमुख फसलें तरबूज ककड़ी खीरा आदि।
प्रमुख फसलों का जन्म स्थान
फसल जन्म स्थान
धान भारत और इंडोनेशिया मक्का मध्य अमेरिका गेहूं मध्य एशिया तंबाकू दक्षिणी अमेरिका रबर दक्षिणी अमेरिका (ब्राजील) उड़द भारत
मसूर चीन
अमरूद अमेरिका
टमाटर मेक्सिको
बाजरा अफ्रीका
जौ चीन
अरहर अफ्रीका
सोयाबीन चीन
मूंग भारत
ज्वार भारत
चाय चीन
कहवा ब्राजील
आलू पेरू
गन्ना भारत
भारत के प्रमुख कृषि अनुसंधान केंद्र
संस्थान मुख्यालय
केंद्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक
केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र नागपुर
राष्ट्रीय गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर
भारतीय गन्ना अनुसंधान केंद्र लखनऊ
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला
राष्ट्रीय चाय अनुसंधान केंद्र जोरहट
राष्ट्रीय कॉफी अनुसंधान केंद्र चिकमंगलूर
राष्ट्रीय रबड़ अनुसंधान केंद्र कोट्टायम
केंद्रीय रेशम अनुसंधान केंद्र मैसूर राष्ट्रीय जूट अनुसंधान केंद्र बैरकपुर केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान केंद्र राजमुंद्री
केंद्रीय नारियल अनुसंधान संस्थान
- कासरगोड
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान
- कानपुर
भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान
- हैदराबाद
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान बेंगलुरु केंद्रीय कृषि मौसम विज्ञान केंद्र पुणे केंद्रीय मिट्टी एवं जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र - देहरादून
Note :- भारतीय कृषि अनुसंधान(IARI) की स्थापना लार्ड कर्जन के काल में 1905 में पूसा (बिहार) में हुई थी। 1936 ईस्वी में इसे नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया। यह पूसा संस्थान के नाम से लोकप्रिय है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(ICAR) की स्थापना 23 मई 1929 को की गई इसका मुख्यालय भी नई दिल्ली में है।
Harvasting
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